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निर्देश के मामले में जेठमलानी को केजरीवाल का खंडन देर से आया है:

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अपने पूर्व वकील राम जेठमलानी को भाजपा नेता के खिलाफ मानहानिकारक शब्दों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने से इंकार करने पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि उनका (केजरीवाल का) यह खंडन देर से आया है। जेटली ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी नेता ने अपने दावों को साबित करने के लिये कोई प्रमाण नहीं दिया है कि उन्होंने अपने पूर्व वकील को इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करने का निर्देश नहीं दिया और न ही उनकी अनुमति के बिना मानहानिकारक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिये उन्होंने जेठमलानी के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू की है।

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केजरीवाल के खिलाफ जेटली द्वारा दायर 10 करोड़ रुपये के मानहानि के दूसरे मुकदमे में संयुक्त रजिस्ट्रार पंकज गुप्ता ने भाजपा के वरिष्ठ नेता के जवाब के साथ जिन साक्ष्यों पर वह भरोसा कर रहे हैं उसे स्वीकार किया। मानहानि का दूसरा मुकदमा जेटली ने केजरीवाल के पूर्व वकील राम जेठमलानी द्वारा उनके खिलाफ इस्तेमाल किये गए मानहानिकारक शब्दों को लेकर दायर किया था। संयुक्त रजिस्ट्रार ने जेटली के अपने वकील माणिक डोगरा के माध्यम से सौंपे गए साक्ष्यों को स्वीकार और अस्वीकार किये जाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख नियमित अदालत के समक्ष सात नवंबर को निर्धारित कर दी।
केजरीवाल के वकील अनुपम श्रीवास्तव ने संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष समाचार पत्रों में छपी खबरों, खबरों के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और जेठमलानी द्वारा दिये गए साक्षात्कारों और अदालत के रिकॉर्ड की प्रतिलिपि का खंडन किया। इन सबमें जेटली से जिरह के दौरान जेठमलानी द्वारा इस्तेमाल किये गए मानहानिकारक शब्द थे। वरिष्ठ अधिवक्ता ने 10 करोड़ रुपये के मानहानि के पहले मुकदमे में केंद्रीय मंत्री से जिरह के दौरान मानहानिकारक शब्दों का इस्तेमाल किया था। मानहानि का पहला मुकदमा जेटली ने केजरीवाल और आप के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ 2015 में दायर किया था।

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