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जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हुआ देवभूमि का सपूत, उत्तराखंड में शोक की लहर

देहरादून। ओखलकांडा ब्लाक के पदमपुर मीडार निवासी और वर्तमान में हल्द्वानी के गोरापड़ाव निवासी युमना प्रसाद पनेरू की बृहस्पतिवार रात कुपवाड़ा में शहीद होने की सूचना सेना से मिली है। जानकारी के मुताबिक यहां बर्फ से ढकी चोटियों पर अपनी टीम को रेस्क्यू करते वक्त उनका पैर फिसला, वह खाई में गिर गए और शहीद हो गए।

शहीद के छोटे भाई भुवन पनेरू ने बताया कि उनके बड़े भाई यमुना प्रसाद पनेरू 2001 में छह कुमाऊं में भर्ती हुए थे। सूबेदार यमुना पनेरू का बचपन ग्रामसभा पदमपुर मीडार के तोक गालपाधूरा में बीता। आठवीं तक की पढ़ाई उच्च प्राथमिक विद्यालय मीडार से करने के बाद 9वीं और दसवीं की पढ़ाई एसएमएसडी स्कूल कनखल हरिद्वार से हुई।

इंटरमीडिएट की परीक्षा हरिराम इंटर कॉलेज से पास करने के बाद डीएवी देहरादून में बीएससी में दाखिला लिया। बीएससी प्रथम वर्ष करने के दौरान का चयन भारतीय सेना के लिए हो गया। भाई भुवन पनेरू ने 2012 में यमुना परगांई द्वारा एवरेस्ट फतह करने की जानकारी भी दी। साथ ही उन्होंने नंदादेवी शिखर और छोटे कैलाश को भी छुआ था।

माउंटेनिंग सिखाने के लिए वे कुछ समय दार्जिलिंग में भी रहे। वर्ष 2013/14 में वे भारतीय सेना की ओर से भूटान भी गए और वहां से आने के बाद जेसीओ का कमीशन निकालने के बाद हवलदार से सूबेदार पद पर नियुक्त हुए।

सूबेदार यमुना पनेरू ने 20 साल तक सेना में अदम्य साहस के साथ सेवा देते हुए 37 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। वह अपने पीछे बेटे यश (07 साल ) और 05 साल की बेटी साक्षी, पत्नी, मां महेश्वरी देवी, बड़े भाई चंद्र प्रकाश पनेरू, छोटे भाई भुवन और भाभी सहित भतीजे -भतीजी आदि को छोड़ गए हैं।

शहीद के पिता दयाकृष्ण पनेरू का बहुत पहले ही निधन हो चुका है। वर्तमान में शहीद का परिवार हल्द्वानी के गोरापड़ाव में रहता है। इधर उनके पैतृक गांव में बृहस्पतिवार की शाम यमुना प्रसाद पनेरू के शहीद होने की खबर लगते ही ग्रामीणों में शोक की लहर है। साथ ही सोशल मीडिया पर लोग पोस्ट कर उनको श्रृद्धांजलि अर्पित करते नजर आ रहे हैं।

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