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देवभूमि की बेटी भावना पांडे ने भू-कानून समिति की रिपोर्ट का किया जमकर विरोध, कही ये बात

देहरादून। देवभूमि की बेटी, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने मुख्यमंत्री को सौंपी गई भू-कानून समिति की रिपोर्ट का जमकर विरोध करते हुए इस पर कईं सवाल खड़े किये हैं। साथ ही उन्होंने इस रिपोर्ट को उत्तराखंड विरोधी बताया है।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा कि भू-कानून को सख्त बनाने के नाम पर एक बार फिर उत्तराखंड वासियों को छला गया है। उन्होंने सीएम को सौंपी गई रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे प्रदेश की जमीनों को खुर्दबुर्द होने से बचाया जा सकें। उन्होंने समिति की इस रिपोर्ट को राज्य में ज़मीनों के नए तरीके से खरीदे-फरोख्त किये जाने का सरल उपाय बताया।

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने समीति की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे प्रदेश में जमीनों की अवैध खरीद व बिक्री और अधिक बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में कईं खामियां हैं। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी के तमाम नेताओं को मुफ्त में सैकड़ों बीघा जमीन लीज पर दे दी गई है, उन जमीनों के बारे में भी इस रिपोर्ट में कुछ नहीं कहा गया है। साथ ही चाय बागान की हजारों बीघा जमीन खुर्दबुर्द की जा रही है। इसमें सरकार व अधिकारियों की भी मिलीभगत शामिल है, लेकिन इन जमीनों के बारे में भी इस रिपोर्ट में कोई ज़िक्र नहीं किया गया।

जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने राजधानी देहरादून के रिंग रोड स्थित चाय बागान की जमीन पर भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर बनाने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह सरकारी भूमि है, लेकिन इस तरह की जमीनों के बारे में भी भू-कानून समिति मौन है। वहीं ऐसी जमीनों को लेकर हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाया है।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि भू-कानून समिति द्वारा प्रदेश में खेती-किसानी, होटल और उद्योगों के नाम पर जमीनों को खुर्दबुर्द करने का यह आसान तरीके का दस्तावेज तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य के आंदोलनकारियों समेत समस्त उत्तराखंड के निवासी बीते लंबे समय से इस रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे थे। प्रदेश के आमजन को राज्य सरकार व भू-कानून समिति से काफी उम्मीदें थी, लेकिन 80 पेज की इस रिपोर्ट में जो संस्तुतियां की गई हैं, वह उत्तराखंड के आम जनमानस को निराश करने वाली हैं। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से किसी का भला नहीं होने वाला, ये सिर्फ छलावा मात्र है। सरकार को इस रिपोर्ट पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

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