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चकराता में जमकर हुई बर्फ़बारी, समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में

देहरादून। उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बदलने से रविवार शाम को चकराता समेत आसपास के ऊंचे इलाकों में अच्छी बर्फबारी हुई। जिससे जौनसार-बावर की ऊंची चोटियां बर्फ की सफेद चादर से ढक गई हैं। बर्फबारी के चलते चकराता-मसूरी-त्यूणी हाईवे पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित रही। इस दौरान हाईवे पर कई वाहन बर्फबारी के बीच बड़ी मुश्किल से निकले। कथियान-त्यूणी मार्ग पर कुछ वाहन सड़क पर जमीं बर्फ के बीच फंस गए। जिसे किसी तरह निकाला गया। समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया। कड़ाके की ठंड पड़ने से लोग सोमवार को पूरे दिन घरों में ही रहे।

रविवार शाम को हुई बारिश के बाद सोमवार सुबह जौनसार-बावर के ऊंचे इलाकों में सीजन का चौथा हिमपात हुआ। क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थल छावनी बाजार चकराता समेत आसपास के ऊंचे इलाकों में अच्छी बर्फवारी होने से कड़ाके की ठंड पड़ी है। जौनसार-बावर की ऊंची चोटियों में शुमार लोखंडी, बुधेर, खंडबा, मोइला टॉप, कनासर, देववन, जाड़ी, कथियान ओवरासेर, मुंडाली, मुराच, मोल्टा, उदांवा, बुरायला, सैंज-कुनैन, मोहना, देवघार, बावर, फनार, भरम मशक, लखौ व कडमाण क्षेत्र में सीजन की अच्छी बर्फवारी होने से ग्रामीण बागवानों व किसानों के चेहरे खुशी से खिल उठे।

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जानकारों के अनुसार दिसबंर माह की यह बर्फबारी पर्वतीय फलों व कृषि फसलों के लिए काफी फायदेमंद रहेगी। जिससे खेतों में कृषि फसलों की पैदावार अच्छी होने के साथ बगीचों में सेब उत्पादन में भी इजाफा होगा। इससे क्षेत्र के ग्रामीण कृषकों को फायदा होगा। बर्फवारी के चलते जौनसार-बावर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले मसूरी-चकराता-त्यूणी हाइवे पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित रही। इस दौरान एनएच खंड अधिकारियों ने हाईवे पर लोखंडी से कोटी के बीच सड़क पर जमी बर्फ को हटाने के लिए दो जेसीबी लगाई। इसके बाद हाईवे पर बर्फबारी के बीच किसी तरह वाहनों का संचालन शुरू हो पाया।

चकराता क्षेत्र के स्थानीय लोगों बताया कि सोमवार को हुई अच्छी बर्फबारी से ऊंची पहाड़ी मार्ग पर कई वाहन बर्फ के बीच फंसे गए। जिसे ग्रामीणों की मदद से बड़ी मुश्किल से निकाला गया। बर्फबारी व बारिश के कारण समूचे क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ी है। ठिठुरन से बचने को अधिकांश लोग सोमवार को पूरे दिन अपने घरों में रहे। क्षेत्र के ऊंचे इलाकों में बर्फवारी होने से लोग ठंड में कांप रहे हैं। इससे बचने के लिए लोग अलाव, अंगेठी व चूल्हे का सहारा ले रहे हैं।

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