मगरमच्छों के बीच से गुज़र कर मरीज़ों का इलाज़ करने जाती हैं ये नर्स
दंतेवाड़ा। आपने चिकित्सकों को मरीजों का इलाज़ करते हुए अक्सर देखा और सुना होगा मगर अपनी जान की जोखिम में डालकर किसी मरीज़ का उपचार करने वाले चिकित्सक या नर्स के बारे में शायद ही आपने सुना हो। आइये हम आपको बताते हैं एक ऐसी नर्स के बारे में जो रोज अपनी जान हथेली पर रखकर लोगों का उपचार करने जाती हैं :-
जिस महिला की हम बात कर रहे हैं वो साहसी है, हिम्मती है और निडर भी है। सबसे बड़ी बात वो ख़ुद की जान दांव पर लगा दूसरों की जान बचाती है। ये कोई जादूगर नहीं पर हां, किसी जादूगर से भी कम भी नहीं है। दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनके लिए दिल में सम्मान की भावना होती है, ये जाबांज़ महिला उनमें से ही एक है। शायद ही किसी के अंदर मगरमच्छ का सामना करने की हिम्मत होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ की सुनीता ठाकुर हर रोज़ बिना डरे इनका सामना करती हैं।
सुनीता पेश से नर्स हैं और लगभग पिछले 7 सालों से मगरमच्छों से भरी नदी को पार कर, वो दंतेवाड़ा ज़िले की गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करती हैं। इस दौरान कितनी दफ़ा ऐसा हुआ होगा कि उन पर मगरमच्छों ने हमला किया, लेकिन वो बिना डरे निस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य निभाती रहीं। दरअसल, दंतेवाड़ा ज़िला नक्सली प्रभावित क्षेत्र है, जहां स्वास्थ्य संबधी सेवाएं न के बराबर हैं।
बातचीत के दौरान सुनीता कहती हैं कि ‘मैं अपने काम को लेकर दृढ़ संकल्प हूं। मैं ख़ुद की बनाई हुई नाव का उपयोग करके इंद्रावती नदी पार करती हूं और उसके बाद मैं गांव वालों के इलाज के लिए घने जंगलों को भी पैदल ही पार करती हूं। ‘ नदी पार करने के बाद करीब 8 से 10 किलोमीटर पैदल भी सफ़र करना पड़ता है। सुनीता ये भी बताया कि ‘इस दौरान कई बार उनका सामना ख़तरनाक जानवरों से भी हुआ और ऐसा लगा मानों ये मेरी ज़िंदगी का आखिरी दिन होगा, लेकिन मैंने कभी भी नौकरी छोड़ने का नहीं सोचा, क्योंकि मुझे मेरी जान से ज़्यादा गांववालों के जान की परवाह है।’
सुनीता के इस बहादुरी और निस्वार्थ भरे कार्य को देखते हुए सरकार ने उन्हें सम्मानित करने का फ़ैसला लिया है। दंतेवाड़ा ज़िला के कलेक्टर सौरभ कुमार ने बताया कि ‘आने वाले स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें उनके साहसी काम के लिए सम्मानित किया जाएगा। ‘ इतना ही नहीं, सुनीता के काम को देखते हुए सोशल मीडिया पर भी लोग उनकी काफ़ी प्रशंसा कर रहे हैं। वाकई सुनीता आप जिस मेहनत और लगन से ज़रूरतमंद लोगों की मदद कर रही हैं, उसके लिए आप सम्मान और प्रशंसा दोनों की हकदार हैं।