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सावधान! धोखेबाज व्यक्ति का ऐसा व्यवहार होता है खतरे का संकेत, समय पर सचेत होकर किया जा सकता है स्वयं का बचाव

आचार्य चाणक्य ने जीवन को ठीक तरह से चलाने के लिए कुछ नीतियां और विचार व्यक्त किए हैं। इन दोनों पर चलकर ही मनुष्य अपने जीवन को स्वार्थ कर सकता है। अगर आप भी अपने जीवन को सही मायने में सफल बनाना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य की नीतियों और विचारों को अपनाइए। आचार्य चाणक्य की इन नीतियों और विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार धोखेबाज व्यक्ति पर आधारित है।

“धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।” आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य का कहना है कि धोखेबाज व्यक्ति अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए ही दूसरों की सेवा करते हैं। आचार्य के इस कथन का मतलब है कि धोखेबाज व्यक्ति पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। ये अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। जैसे ही इनका काम निकल जाता है तो उस तरह से ही लोगों के साथ बर्ताव करते हैं जैसे कि हम लोग दूध में मक्खी पड़ने पर उसे बाहर निकाल देते हैं।

धूर्त व्यक्ति को धोखेबाज, चालबाज और कपटी भी कहा जाता है। ऐसा व्यक्ति चालबाजी से भरपूर होता है। ये लोग बाहर से तो बहुत ही मिठ बोले होते हैं लेकिन अंदर ही अंदर कपट से भरे होते हैं। ये लोग इतने धोखेबाज होते हैं कि अपने मकसद को सिद्ध करने के लिए किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। असल जिंदगी में ऐसे लोगों से आपका पाला भी पड़ सकता है। कई बार तो लोग इनकी इस प्रवृत्ति को जानने के बाद भी इनसे हाथ मिला लेते हैं।

यहां तक कि अंधा विश्वास भी करने लगते हैं। अगर आप भी ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं तो इतना जरूर समझ लीजिए कि इनकी सेवा के पीछे इनका कोई स्वार्थ जरूर हो सकता है। ये लोग अपनी मीठी मीठी बातों से अपना काम निकलवाना अच्छे से जानते हैं। इसलिए आचार्य चाणक्य का कहना है कि धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।

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