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निर्भया मामले पर आसाराम ने कहे थे ये शर्मनाक शब्द

नई दिल्ली।  देश की राजधानी दिल्ली में वर्ष 2013 में घटित हुए निर्भया रेप काण्ड ने पूरे देश को भीतर तक झकझोर कर रख दिया था। जब निर्भया गैंगरेप के खिलाफ पूरे देश के जनमानस में गुस्सा था। तब स्वयंभू कथावाचक आसाराम ने इस मामले में यह कहकर लोगों को हैरान कर दिया था कि गलती एक तरफ से नहीं होती है। आसाराम ने कहा था कि पीड़िता निर्भया को बलात्कारियों के सामने गिड़गिड़ाना चाहिए था, उन्हें अपना धर्मभाई कहना चाहिए था, उनके पैर पड़ने चाहिए थे। आसाराम ने तब कहा था कि अगर वह ऐसा करती तो यह दुष्कर्म नहीं हुआ होता।

आसाराम को बुधवार (25 अप्रैल) को जोधपुर की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया है। संयोग से आसाराम के खिलाफ चल रहा यह मामला भी 2013 का ही था। लेकिन जब आसाराम ने यह बयान दिया था उस समय वह जेल नहीं गया था। आठ जनवरी 2013 को टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आसाराम ने सवाई माधोपुर में कहा था कि अगर लड़की ने सरस्वती मंत्र का उच्चारण किया होता तो वह अपने दोस्त के साथ बस में चढ़ती ही नहीं।

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उस दिन आसाराम ने कहा था, “लड़की को भगवान का नाम लेना चाहिए था, और वह वहां मौजूद एक शख्स का हाथ पकड़कर कहती मैं तुम्हें अपना भाई मानती हूं, दो अन्य लोगों से उसे कहना चाहिए था, भाई मैं बेबस हूं तुम मेरे भाई हो, तुम मेरे धर्म भाई हो।” रिपोर्ट के मुताबिक आसाराम ने कहा था कि लड़की को उनके हाथ पकड़ने चाहिए थे, पैर पकड़ने चाहिए थे, अगर ऐसा होता तो ये दुराचरण नहीं हुआ होता।” उस दिन आसाराम ने यह भी कहा था कि गलती एक तरफ से नहीं होती है।

हालांकि तब बीजेपी समेत कई गैर सरकारी संगठनों ने आसाराम के इस बयान की निंदा की थी, और इसे शर्मनाक बताया था। बता दें कि साल 2013 में 16 साल की एक लड़की ने आसाराम पर रेप का आरोप लगाया था। लड़की के मुताबिक ये रेप 15 और 16 अगस्त की दरमियानी रात को जोधपुर स्थित आसाराम के आश्रम में हुआ था। इस मामले में आसाराम और उसके चार सहयोगियों संचिता उर्फ शिल्पी, शरदचंद्र, प्रकाश और शिवा उर्फ सेवा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में अदालत ने आसाराम को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई है।

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