टिहरी। उत्तराखंड के टिहरी जनपद में खाई में गिरी स्कूल वैन में मरने वाले मासूम बच्चों की मौत की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। मासूम बच्चों के परिजनों की चीख-पुकार सुन हर किसी का दिल पसीज गया था। ऐसा दर्दनाक हादसा घटित हो जाने के बाद भी सूबे के मुखिया को पीड़ित परिवारों की सुध लेने और उनका दुख बाँटने में 6 दिन का वक्त लग गया। इसी वजह से पीड़ित परिजनों ने सीएम साहब के सामने अपना रोष प्रकट किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के टिहरी में हाल ही में वाहन दुर्घटना में मृतक 10 बच्चों के परिवारों ने राज्य सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी की। रविवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत एक-एक लाख रुपये मुआवजे के चेक देने मृतक बच्चों के गांव पहुंचे थे।
इस दौरान वहां लोगों ने खूब हंगामा किया। प्रभावित परिवार के सदस्यों ने मृतकों के परिवार को 10-10 लाख और घायल बच्चों के उपचार के लिए पांच-पांच लाख के चेक दिए जाने की मांग की। इस दौरान स्थानीय लोगों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
प्रभावित परिवारों ने कहा कि जो एक-एक लाख के चेक पूर्व में मिले थे, उन्हें भी प्रशासन को वापस किया जाएगा। विरोध के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत थार्ती गांव में बादल फटने से मृतक मां बेटे के परिवार से मिलने के लिए रवाना हो गए।
गौरतलब है कि बीते छह अगस्त को टिहरी जिले के प्रतापनगर-कंगसाली-मदननेगी मोटर मार्ग पर बच्चों को लेकर स्कूल जा रहा मैक्स वाहन संख्या यूए 07क्यू 3126 अनियंत्रित होकर खाई में गिर गया था। हादसे में नौ बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि एक बच्चे की अगले दिन इलाज के दौरान मौत हो गई।
वैन में बच्चों सहित 22 लोग वाहन में सवार थे। हादसे के बाद एसएसपी टिहरी ने चेकिंग में लापरवाही पर पिपलडली चौकी प्रभारी मयंक त्यागी और कांस्टेबल दुर्गेश कोठियाल को सस्पेंड कर दिया है। वहीं इसके साथ ही एआरटीओ एनके ओझा, उप खंड शिक्षा अधिकारी धनवीर सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।
बहरहाल उत्तराखंड में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं ने सरकारी तंत्र और उसकी व्यवस्थाओं की कलई खोलकर रख दी है। अब सवाल ये उठता है कि हर हादसे के बाद शोक व्यक्त करके, जांच बैठाकर एवँ मुआवजे के चेक बाँटकर तो स्थिति में सुधार होने से रहा। सरकार को जमीनी हकीकत को मद्देनजर रखकर ठोस कदम उठाने होंगे। जिनके अपने इन हादसों में बेमौत मारे जाते हैं उन के दर्द पर मुआवजे का मरहम लगाने वाली सरकार को गहनता से सोचने की जरूरत है, ये विरोध बेवजह नहीं है।