नकली मेंढक पर होंगे असली जैसे प्रयोग, बनने जा रहा है नया उपकरण

फ्लोरिडा (अमेरिका)। मिशेल हाई स्कूल इन फ्लोरिडा के 100 छात्र एक ऐसा यंत्र बना रहे हैं, जिससे प्राणियों के अंदर की शारीरिक संरचना का अध्ययन ज्यादा आसान हो जाएगा और मेंढक की चीर-फाड़ करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसी यंत्र को प्रयोगशाला में मेंढक की जगह इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके अंदर वे सभी बॉडी ऑर्गन्स दिखेंगे, जो मेंढक में पाए जाते हैं। ऐसा अमेरिका में मेंढकों को बचाने के लिए किया जा रहा है। हर साल 30 साल लाख से ज्यादामेंढक विज्ञान के छात्रों द्वारा चीर-फाड़ दिए जाते हैं। जल्द ही मेंढक का विच्छेदन अतीत की बात हो सकती है।
मिशेल स्कूल का कहना है कि देशभर के छात्र नए शैक्षणिक सत्र से इस उपकरण का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह एक हाइपर-रियलिस्टिक सिंथेटिक मेंढक होगा,जो कि K-12 में शरीर विच्छेदन को पूरी तरह से बदल सकता है और विज्ञान वर्ग को कॉलेजिएट कर सकता है। अफसोस की बात यह है कि विश्वविद्यालय स्तर से नीचे की कक्षाओं में मेंढक सबसे अधिक चीरा-फाड़ा जाता है। इस कारण मेंढकों जैसी सभी प्रजातियां पृथ्वी से गायब हो रही हैं। मेंढक पर्यावरण में संतुलन बैठाने वाले जीवों में गिना जाता है।
अन्य जीव जैसे कि बिल्लियां, चूहे, कुत्ते, खरगोश, भ्रूण सूअर और मछली भी कभी-कभी प्रयोगशाला में चीरे-फाड़े जाते हैं। पेटा इंटरनेशनल लेबोरेटरी के उपाध्यक्ष शालीन गाला कहते हैं- “हाई स्कूल में सबसे ज्यादा घास मेंढक और बुलफ्रॉग इस्तेमाल किए जाते हैं। ढूंढने पर भी इस प्रजाति के मेंढक नहीं मिलते। यही कारण है कि सिनडैवर जो कि विश्व की प्रमुख मैन्युफैक्चरर, हाइपर रियलिस्टिक, सिंथेटिक ह्यूमन एंड एनिमल सर्जिकल ट्रैनर्स पार्टनर संस्था है, ने पेटा के साथ मेंढक का विच्छेदन रोकने के लिए भागीदारी की है।”
शालीन कहते हैं, “मेंढकों के बजाय इस यंत्र का प्रयोग अधिक सुरक्षित, अधिक प्रभावी और अधिक मानवीय होगा। वर्तमान में सिनडैवर वेबसाइट पर मेंढकों को 150 डॉलर के लिए बेचा जा रहा है। मेंढक की इस कीमत की तुलना में प्रकृति के संतुलन की कीमत बहुत अधिक है। प्रकृति के संतुलन में मेंढक का पार्ट बहुत अहम है। शारीरिक संरचना दिखाने के लिए जीवों की बलि देने के बजाय सिनफ्रॉग विज्ञान के छात्रों के लिए बेहतर विकल्प है और इसे दुनियाभर से समर्थन मिलेगा।”