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उत्तराखण्ड के किसानों की कर्ज माफी पर त्रिवेन्द्र सरकार ने स्पष्ट की अपनी स्थिति
देहरादून। उत्तराखण्ड में किसानों के कर्ज माफी पर सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी कि सीमित संसाधन होने की वजह से करोड़ों का कर्ज माफ करना संभव नहीं है। किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए सरकार की ओर से सहकारिता विभाग के माध्यम से किसानों को मात्र दो प्रतिशत ब्याज पर एक लाख का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
प्रदेश के किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। विधानसभा सत्र के चौथे दिन विधायक सुरेंद्र सिंह जीना ने किसानों का ऋण माफ करने का प्रस्ताव सदन में रखा। सरकार की तरफ से संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि सरकार के पास सीमित संसाधन हैं। ऐसी स्थिति में सरकार 1600 करोड़ का ऋण माफ करने की स्थिति में नहीं है और न ही कर्ज माफी की अनुमति देती है। 30 अगस्त 2018 तक प्रदेश में फसली ऋण किसानों की संख्या चार लाख 91 हजार 525 है। जिन्होंने 6522 करोड़ का ऋण लिया है।
इसके साथ ही एक लाख 33 हजार 123 हजार गैर कृषकों ने दो हजार 97 करोड़ का ऋण लिया है। प्रत्यक्ष रूप से प्रदेश के 6.5 लाख किसानों पर 1600 करोड़ का कर्ज है। सरकार ने किसानों की दोगुनी आय और आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए किसानों को कृषि, पशुपालन व अन्य कृषि संबंधित कार्यों के लिए एक लाख का ऋण दो प्रतिशत ब्याज पर देना का निर्णय लिया है।
इसके अलावा केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से भी किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है। विधायक सुरेंद्र सिंह जीना ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों का 36 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया है। इसी तरफ उत्तराखंड में भी किसानों का ऋण माफ किया जाए।