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उत्तराखंड के विकास एवं प्रदेशवासियों के हित के लिए निरन्तर कार्य कर रहीं हैं जनसेवी भावना पांडे

देहरादून। जनता कैबिनेट पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवँ प्रसिद्ध जनसेवी भावना पांडे उत्तराखंड के विकास एवं प्रदेश वासियों के हित के लिए अपने स्तर पर निरन्तर कार्य कर रही हैं। जनसेवी भावना पांडे ने उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के भले के लिए एक मुहिम छेड़ी हुई है। इसी के चलते वे लगातार प्रयासरत हैं।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे का कहना है कि उत्तराखंड से हो रहे पलायन को रोकना होगा एवँ प्रदेश के युवाओं को यहीं रोजगार के अवसर मुहैया करवाने होंगे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिये वे कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य कर रहीं हैं। जिसके लिए वे राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवँ कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात कर चर्चा करेंगी।

जेसीपी मुखिया भावना पांडे ने आगे कहा कि वे बाहरी राज्यों से निवेशकों को उत्तराखंड में लेकर आना चाहती हैं और राज्य में बड़ा निवेश करवाकर यहाँ कईं विकास कार्य करवाना चाहतीं हैं। उन्होंने कहा कि उनका विशेष ध्यान राज्य की शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाओं पर केंद्रित है।

भावना पांडे ने कहा कि उत्तराखंड को पृथक राज्य के रूप में अस्तित्व में आये 22 वर्ष का समय व्यतीत हो चुका है किंतु पहाड़ों में आज भी शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। राज्य की इन महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को शीघ्र पूर्ण करना होगा। इसके लिए उन्होंने प्रदेश सरकार से भी पूर्ण सहयोग की उम्मीद जताई है।

गौरतलब है कि समाजसेवी भावना पांडे बीते कईं वर्षों से जनहित के महान कार्य करतीं आईं हैं। उन्होंने राज्य के बेरोजगार युवाओं एवँ महिलाओं के संगठनों के आंदोलनों को लंबे समय तक अपने खर्च पर पूर्ण समर्थन दिया एवँ उनकी आवाज़ बनकर सामने आईं। आज भी कईं युवाओं व महिलाओं के संगठन उन्हें फोनकर समर्थन की मांग करते हैं।

भावना पांडे का कहना है कि उत्तराखंड के सभी बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलना चाहिए एवँ उत्तराखंड से पलायन पूरी तरह से रुकना चाहिए। साथ ही राज्य में निकलने वाली भर्तियों, योजनाओं एवँ टेंडर आदि सभी चीजों में उत्तराखंड के मूल निवासियों को ही प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड में बाहर से आये व्यक्ति हावी हैं, बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं जबकि प्रदेश का युवा बेरोजगार होकर ठोकरे खाने को विवश है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि ये व्यवस्था बदलनी चाहिए। इसके लिए वे आवाज उठाती रहेंगी।

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