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पीएफ निकालने संबंधी नए नियमों में बदलाव

हैदराबाद/बंगलूरू। बंगलूरू समेत देश के विभिन्न हिस्सों में कर्मचारियों के कड़े विरोध के चलते सरकार ने पीएफ राशि की निकासी के सख्त नियमों को लागू करने का फैसला वापस ले लिया है। मंगलवार को पहले श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने नए नियमों को लागू करने का फैसला जुलाई के अंत तक टालने की बात कही, लेकिन कुछ घंटों बाद ही हैदराबाद में प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने इससे संबंधित 10 फरवरी की अधिसूचना को रद्द करने का एलान कर दिया।

उन्होंने कहा कि अब पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी। सरकार की ओर से यह घोषणा पीएफ नियमों में बदलाव के विरोध में बंगलूरू में हुई हिंसा के बाद की गई। मंगलवार को गारमेंट फैक्ट्री कर्मचारियों ने बंगलूरू में कई बसें जला दीं और एक थाने पर भी हमला किया। प्रस्तावित प्रावधान में कर्मचारी की 58 साल की आयु पूरी होने से पहले नियोक्ता के योगदान की राशि ईपीएफ से नहीं निकाली जा सकती थी।

कर्मचारी इसी फैसले का विरोध कर रहे थे। देर रात श्रम मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मौजूदा नियमों के तहत कर्मचारी अब पीएफ की पूरी राशि निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। वे नियोक्ता के (मूल वेतन का 3.67 फीसदी) योगदान की राशि भी निकाल सकते हैं।

हैदराबाद में दत्तात्रेय ने कहा कि ट्रेड यूनियनों के आग्रह पर फैसला वापस लिया गया है। हालांकि उन्होंने दावा किया कि पीएफ निकासी के नियमों को सख्त करने का फैसला भी ट्रेड यूनियनों की राय पर ही किया गया था। इससे पहले दिन में दिल्ली में मंत्री ने कहा था कि पीएफ निकासी के सख्त नियमों से संबंधित अधिसूचना को तीन महीने के लिए 31 जुलाई 2016 तक टाल दिया गया है।

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